एक ओर हम सब प्रगति की तरफ बढ़ रहे है तो दूसरी ओर इससे धरती को नुकसान भी पहुंचा रहे है। आए दिन हमें अखबारों से भूकंप की खबरें आते रहती है, कई लोगों की मौत हो जाती है और साथ में आर्थिक नुकसान भी झेलना पड़ता है।
भूकंप को रोका तो नहीं जा सकता है, पर हां कुछ उपायों से स्वयं को सुरक्षित रखा जा सकता है। आज के आर्टिकल के माध्यम से हम आपको भूकंप के बारे में बताएंगे और साथ ही खुद की रक्षा कैसे करें, इस मामले में प्रकाश डालेंगे। इस लेख को अंत तक पढ़े और अपना ज्ञान बढ़ाएं।
भूकंप क्या होता है?
भूकंप एक प्राकृतिक आपदा है, जो कई कारणों से उत्पन्न होता है। जब भी भूकंप आता है, तो धरती अपने आप हिलने लगती है।
हमारी पृथ्वी सात टेक्टोनिक प्लेटों से बनी हुई है, जो लगातार घूमती रहती है। घूमते घूमते कभी कभी इनमें टकराव हो जाता है और इसी कारण से वो आपस में मुड़ने लगती है। मुड़ने से ये प्लेट टुकड़ों में बदलने लगती है, जिस कारण से धरती में एक तेज ऊर्जा उत्पन्न हो जाती है।
इसी अति तीव्र ऊर्जा से धरती में कंपन शुरू हो जाती है और यह कंपन एक विनाशकारी भूकंप का रूप ले लेता है।
भूकंप अलग अलग तीव्रता का हो सकता है, कभी इससे बस हल्की हलचल महसूस होती है, तो कभी इमारतें गिर जाती है और साथ में धरती भी फट जाती है।
भूकंपीय तरंगे कितने प्रकार की होती है?
भूकंप के दौरान ऊर्जा के रूप में भूकंपीय तरंगे उत्पन्न होती है, इन तरंगों को तीन भागों में बांटा जाता है।
1. प्राथमिक तरंगे( लंबवत या P तरंगे)
जो तरंगे भूकंप में सबसे पहले उत्पन्न होती है, उन्हें प्राथमिक तरंगे कहते है। यह तरंगे ठोस, तरल और गैस, तीनों माध्यम से गुजर सकती है।
इसकी गति सबसे अधिक होती है, किंतु तीव्रता अन्य के मुकाबले सबसे कम होती है।
2. द्वितीयक तरंगे (गौण या S तरंगे)
P तरंगों के बाद जो अगली तरंग आती है, उन्हें सेकेंडरी तरंगे कहते है, इसे गौण के नाम से भी जाना जाता है।
यह तरंगे केवल ठोस माध्यम से ही गुजार सकती है और गति में P तरंगों में कम होती है, किंतु इसकी तीव्रता उससे अधिक होती है।
3. तृतीयक तरंगे(धरातलीय या L तरंगे)
जो तरंगे सबसे अंतिम में उत्पन्न होती है, उन्हें ही तृतीयक तरंगे कहते है, जिसे धरातलीय भी कहा जाता है।
यह गति में सबसे कम होती है, पर तीव्रता इसकी सबसे अधिक होती है जो अत्याधिक हानि पहुंचाती है।
भूकंप को कितने जोन में बांटा गया है?
विभिन्न जोन में भूकंप विभिन्न तीव्रता से आती है, इसी आधार पर इसे चार प्रकार में बांटा गया है। हर जोन में नुकसान भी अलग प्रकार से होता है।
1. जोन 2
इस जोन में सबसे कम नुकसान होता है, इसकी तीव्रता भी काफी कम होता। जब धरती हिलती है, तो इस कंपन को सभी महसूस करते है और सुरक्षित खुले स्थान में आसानी से चले भी जाते है।
इस प्रकार में फर्नीचर या कोई अन्य सामान इधर से उधर खिसक जाता है, पर दीवार गिरने की संभावना ना के बराबर होती है।
2. जोन 3
इस जोन में थोड़ा अधिक नुकसान होता है, किंतु जान को खतरा कम रहता है।
इसमें तकनीक से बनाएं हुए मकानों को नुकसान होने का कम खतरा रहता है, वहीं सामान्य बिल्डिंग के टूटने की संभावना रहती है।
3. जोन 4
ऐसे जोन को खतरनाक माना जाता है, इसकी तीव्रता इतनी अधिक होती है कि खंभे, पूल, छोटे मकान ढह जाते है।
अच्छी तकनीक से बनाएं हुए मकानों को कम नुकसान होता है और समय से खुले मैदान में ना जाने पर जान भी जाने की संभावना रहती है।
4. जोन 5
इसे सबसे जानलेवा और खतरनाक माना जाता है, इसकी तीव्रता इतनी अधिक होती है कि बड़ी से बड़ी और उच्च तकनीक से बनाई हुई बिल्डिंग को भी गिरा देता है।
यह इतनी तेज़ी से आता है कि सड़कें भी फट जाती है और हजारों लोग मारे जाते है।
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भूकंप की तीव्रता कैसे मापी जाती है?
भूकंप की तीव्रता को दो तरीके से मापा जाता है, पहला तरीका स्केल पैमाना वाला होता है तो वहीं दूसरे तरीके में भूकंप से होने वाले नुकसान से उसकी तीव्रता के बारे में पता लगाया जाता है।
1. रिक्टर स्केल
भूकंप की तीव्रता को मापने के लिए अमेरिका के वैज्ञानिक चार्ल्स फ्रांसीसी ने रिक्टर स्केल का अविष्कार किया था। इससे भूकंप की वेग को 1 से लेकर 10 तक की अंक में मापा जाता है। यदि एक अंक भी तीव्रता बढ़ती है, तो वो दस गुणा के बराबर होती है।
2. मारकेली स्केल
यह किसी प्रकार का स्केल नहीं होता है और ना ही इसमें कोई अंक अंकित रहता है।
भूकंप से जान माल को हुए हानि को देख कर ही इसकी तीव्रता के बारे में बताया जाता है।
भूकंप के कितने प्रकार होते है?
भूकंप के प्रकार को दो आधार में बांटा गया है, एक गहराई के आधार पर होता है और दूसरा उत्पति यानी कारणों के आधार पर किया जाता है।
1. गहराई के आधार पर
- न्यूनतम गहराई (छीछले उद्गम केंद्र वाले)- इस भूकंप की गहराई सबसे कम 0 से 50 किलोमीटर होती है, किंतु सबसे अधिक विनाशकारी यही होते है।
- मध्यम गहराई (मध्यम उद्गम केंद्र वाले)- इस प्रकार में भूकंप की गहराई 50 से 250 किलोमीटर तक होती है और यह थोड़ा हल्का नुकसान करते है।
- अधिकतम गहराई (गहरे उद्गम केंद्र वाले)-इस भूकंप की जड़ 250 से 700 किलोमीटर तक होती है, और इसे काफी हल्का महसूस किया जाता है।
2. उत्पति के आधार पर
- टेक्टोनिक प्लेटों के टकराव- यह भूकंप सबसे सामान्य माना जाता है, जब दो टेक्टोनिक प्लेट आपस में टकरा जाती है।
- ज्वालामुखी से उत्पन्न-जब ज्वालामुखी आती है, तब लावा बड़ी तेज़ी से केंद्र से बाहर के ओर आता है और इसी क्रम में धरती में कंपन पैदा करता है, जिससे भूकंप आती है।
- विस्फोटक भूकंप- किसी परमाणु या फिर रसानायिक विस्फोटकों से भी भूकंप उत्पन्न होती है।
भूकंप के क्या कारण है?
भूकंप आने के कई कारण होते है, जिसमें से सबसे आम कारण टेक्टोनिक प्लेटों का टकराव है।
इस टकराव से अत्यधिक तीव्रता वाला भूकंप आता है, जो सबसे विनाशकारी होता है। आइए, भूकंप के कारणों के बारे में जानते है।
1. प्लेट टेक्टोनिक के कारण
हमारी धरती 7 प्लेटों पर टिकी हुई है, जिनमें गति होते रहती है। तीन स्थिति में यह प्लेट्स भूकंप उत्पन्न करती है, जब यह प्लेटें एक दूसरे के संपर्क में आती है तो यह आपस में या तो टकरा जाती है या फिर ऊपर चढ़ जाती है।
इसके अलावा यह एक दूसरे को धक्का भी दे सकती है। इन्हीं क्रियाओं के दौरान एक कंपन ऊर्जा निकलती है, जो भूकंप का रूप ले लेती है।
दूसरी स्थिति में यह प्लेटें एक दूसरे से जब दूर जाती है, तब अलग होने में भी इनके टुकड़े होते है और यह आकार में इतने बड़े होते है कि पूरी धरती को हिला देते है।
अंतिम और तीसरी स्थिति में जब एक दूसरे के आस पास घूमने लगती है, इससे इनके बीच घर्षण होने लगती है, जो अत्याधिक ऊर्जा उत्पन्न करती है और फिर भूकंप आता है।
2. ज्वालामुखी फटने के कारण
ज्वालामुखी और भूकंप एक दूसरे के संबंधी है, जब पृथ्वी के केंद्र से गैस और अन्य वाष्प मैटेरियल बाहर आने की कोशिश करते है, तो वह अधिक बल से बाहर आते है।
इन्हीं बलों के कारण वह ऊपरी सतह पर धक्का देते है और इससे अचानक धरती कांपने लगती है। परिणामस्वरूप भूकंप का अहसास होता है, यह कम तीव्रता का भी हो सकता है या अधिक।
3. भूमि असंतुलन के कारण
भूमि की विभिन्न परते होती है और इनमें अनसुंतलन होने पर भूकंप आने की संभावना रहती है।
भूमि की ऊपरी सतह निचली सतह से हल्की होती है और निचली सतह में कोई भी हलचल होने पर ऊपरी सतह में भूमि कटाव की स्थिति उत्पन्न हो जाती है, जिससे अचानक भूकंप आता है।
4. पृथ्वी के सुकड़न के कारण
यह कारण आजकल आम हो गई है, वातावरण में बदलाव के कारण पृथ्वी सिकुड़ने लगी है। विभिन्न परतों के सिकुड़ने से आंतरिक भाग पर प्रभाव पड़ता है और इससे कंपन उत्पन्न होती है।
इस कंपन के कारण भूमि भागों में खंडित होने लगती है और इसलिए इस प्रक्रिया को भूकंप का नाम दिया जाता है।
5. जलीय भार के कारण
नदियों पर बांध बना कर जल जमा किया जाता है, ताकि उस जगह में कभी पानी की कमी ना हो। किंतु कभी कभी इन बांधों में अधिक जल होने से वहां पर मौजूद चट्टानों में गलत प्रभाव पड़ने लगता है।
फलस्वरूप यह चट्टानें अपने स्थान से घिसकने लगती है और जितने बड़े चट्टान होते है, कंपन भी उतनी ही अधिक होती है। इन्हीं प्रक्रियाओं के कारण भूमि में हलचल होने लगती है और भूकंप आने की संभावना बढ़ जाती है।
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भूकंप से खुद को कैसे सुरक्षित रखें?
यदि आप हर संकट से पहले ही खुद को तैयार रखते है, तो हर मुसीबत से बचा जा सकता है।
आए दिन भूकंप से बचने के उपाय आपदा प्रबंधन वाले बताते रहते है, जिनसे आपको स्वयं को सुरक्षित रख सकते है।
- जैसे ही आपको भूकंप के हल्के झटके महसूस हो, तो किसी खुली जगह में चले जाएं। ध्यान रहे उसके आस पास कोई बड़ी बिल्डिंग या फिर पानी का कोई स्रोत ना हो।
- घर की बिजली, गैस सिलेंडर या अन्य किसी उपकरण को बंद कर दे।
- कंपन होने पर इधर उधर भाग दौड़ ना करें और ना ही वाहन चलाएं।
- यदि आप काफी ऊंचे तल्ले पर मौजूद है, तो स्वयं को किसी सुरक्षित जगह के नीचे छुपा ले और अपने सर को अच्छे से ढंक ले ताकि आपको अधिक चोट ना आएं।
- अपने मकान को भूकंप रहित तकनीक से ही बनाएं, जिससे आप और आपका घर सुरक्षित रहें।
- यदि आप भूकंप वाले क्षेत्र में रहते है, तो ज्यादा ऊंचा मकान ना बनाएं और ना ही हेवी मैटेरियल का उपयोग करें।
- जब भी कंपन होने पर घर से बाहर निकले, तो किसी पेड़, या कमज़ोर मकान या पक्के सड़क के पास ना रहें।
भूकंप से क्या नुकसान होता है?
भूकंप से कितनी हानि होगी, यह इसकी गति और तीव्रता पर निर्भर करता है। एक औसत रूप में देखा जाए, तो हर भूकंप में कुछ ना कुछ नुकसान अवश्य होता है।
- अधिक तीव्रता से भूकंप आने से कई लोगों की मौत होती जाती है और साथ ही में माल की भी हानि होती है।
- भूकंप के कारण पूल, सड़क, मकान, पटरियों, इत्यादि भी टूट जाते है या नष्ट हो जाते है।
- कभी कभी भूकंप से बाढ़, भूस्खलन, या आग भी लग जाती है।
- यदि समुद्र में भूकंप आता है, तो ऐसी स्थिति में सुनामी भी आ जाती है।
- कभी कभी भूकंप से एक पूरा शहर ही बर्बाद हो जाता है, जिसे दोबारा जीवित कर पाना असंभव होता है।
भूकंप से क्या फायदा होता है?
भूकंप के नुकसान के बारे में तो कोई भी बता देगा, पर क्या आप जानते है कि इससे कुछ लाभ भी होते है।
- भूकंप आने से भूस्खलन होता है, जिससे घाटों का निर्माण होता है और इन घाटों की वजह से जल जमाव के लिए बड़ा एरिया मिलता है।
- भूकंप के लहरों से लोगों को पृथ्वी के आंतरिक बनावट के बारे में जानकारी मिलती है।
- यदि टेक्टोनिक प्लेट अलग होती है, तो यह एक नया शहर या जिला बनाती है, जिससे दो जगहों के बीच गैप आ जाता है।
- भूकंप से हिमस्खलन भी होता है, जिससे पानी की मात्रा बढ़ती है और यह जल पीने योग्य होता है।
- ज्वालामुखी के कारण उत्पन्न भूकंप से हमें नए नए मैटेरियल प्राप्त होते है और इससे भूमि उपजाऊ भी बनती है।
निष्कर्ष
आज हमने आपको भूकंप के बारे में सब कुछ बताया है और साथ ही में उससे सुरक्षा के उपाय भी दिए है। आशा करते है कि आप आने वाले समय में इस प्राकृतिक आपदा से स्वयं को बचा पाएंगे और अपने प्रॉपर्टी की भी रक्षा कर पाएंगे। ऐसे ही जानकारी भरी पोस्ट के लिए हमसे जुड़ें रहे और अपने दोस्तों के साथ साझा भी करें।