Black Hole क्या है? इसके कितने प्रकार होते है, जाने पूरी जानकारी 

हमारा ब्रह्मांड जितना बड़ा है, उसमें रहस्य भी अनगिनत भरे हुए है। आए दिन किसी ना किसी नए चीज़ की खोज होती रहती है और परत दर परत इसके कई सारे राज़ उजागर होते रहते है। उन्हीं में से एक है ब्लैक होल, आपमें से ऐसे कई लोग है, जो आए दिन इसके बारे में जानना चाहते है।

कुछ सालों पहले तो ऐसी भी खबर आई थी कि ब्लैक होल के अंदर हमारी पृथ्वी समा सकती है और पूरी दुनिया अंधकार में डूब जाएगी। यदि आपको भी इस रहस्यमय होल के बारे में जानना है, तो यह आर्टिकल आपके लिए ही है। 

हमारे आकाशगंगा में अनगिनत ब्लैक होल मौजूद है, जिसके बारे में संपूर्ण जानकारी जुटा पाना असंभव है। आज हम आपको बताएंगे कि ब्लैक होल क्या है और इसके कितने प्रकार होते है, इसके साथ ढेर सारी अन्य जानकारी भी देंगे। इस लेख को अंत तक पढ़े और अपनी जिज्ञासा को शांत करें। 

ब्लैक होल क्या है?

ब्लैक होल अंतरिक्ष में मौजूद रहता है, जो दिखने में पूरी तरह से काला और बड़े होल जैसा होता है। इन होल का ग्रेविटेशनल फोर्स इतना अधिक होता है कि इससे प्रकाश भी बाहर नहीं निकल सकता है। ऐसा माना जाता है कि यदि इसके पास से कोई तारा, ग्रह या अंतरिक्षयान गुजरे, तो अपने ग्रेविटेशनल फोर्स से अपने अंदर खींच सकता है। चाहे प्रकाश हो या अन्य कोई तत्व या पिंड, कोई भी इससे स्वयं को बचा नहीं सकता है। 

ब्लैक होल को सीधे आंखों से देखा नहीं जा सकता है, इसे देखने के एक खास टूल की मदद ली जाती है और साथ में टेलीस्कोप भी इस्तेमाल किया जाता है। इन टूल्स के सहारे हमें यह भी देखने को मिलता है कि कैसे ब्लैक होल के नज़दीक वाले तारे उसके अंदर खींचे चले जाते है। यह अंतरिक्ष में कहीं भी मौजूद हो सकता है, किंतु अभी तक इसे सौरमंडल के पास नहीं देखा गया है। 

ब्लैक होल की खोज कब और किसने की थी? 

ब्लैक होल के बारे में सबसे पहले हमें अल्बर्ट आइंस्टीन से ही पता चला था, उन्होंने ने 1916 में अपने एक थ्योरी “General Theory of Relativity ‘ में ब्लैक होल के बारे में जिक्र किया था। हालांकि ब्लैक होल शब्द का इस्तेमाल पहली बार 1967 में अमेरिका के खगोल शास्त्री जॉन व्हीलर ने किया था।

इसके बाद ब्लैक होल की खोज सबसे पहले 1971 में की गई थी, जिसका नाम Cygnus X-1 रखा गया था। अर्थात, इन सब बातों से यह ज्ञात होता है कि इसकी थ्योरी, नाम और खोज अलग अलग वैज्ञानिकों द्वारा किया गया है। 

हालांकि, खोज होने के बाद भी किसी ने यह नहीं देखा था कि ब्लैक होल दिखता कैसा है। इसकी सबसे पहली तस्वीर 2019 में Event Horizon Telescope से ली गई थी, यह M87 Galaxy के सेंटर में मौजूद है, जो पृथ्वी से लगभग 55 मिलियन लाइट ईयर की दूरी पर है। 

ब्लैक होल कैसे बनता है? 

ब्लैक होल के नाम से ही पता चल रहा है कि यह दो शब्दों से मिल कर बना है, एक ब्लैक और दूसरा होल। इसे ब्लैक इसलिए कहा जाता है क्योंकि इसके ग्रेविटेशनल फोर्स से कोई भी वस्तु या ग्रह बच नहीं सकते है, यहां तक की प्रकाश जिससे सारी दुनिया रोशन होती है, उसे भी यह अपने अंदर समा लेता है। जिस ब्लैक होल का mass अधिक होगा, उसका बल भी उतना ही अधिक होता है। रोशनी कितनी ही स्पीड से यात्रा करें, खुद को ब्लैक होल में सामाने से नहीं बचा सकती है। 

अब बात करते है होल के मतलब की, यह इसलिए कहा जाता है क्योंकि यह दिखने में होल जैसे दिखते है, जिसके आर पार कोई नहीं जा सकता है और सब इसमें समाहित हो जाते है। इसे होल इसीलिए भी कहा जाता है क्योंकि इसके अंदर कुछ भी दिखाई नहीं देता है और फिर भी यह कभी खाली नहीं होता है। इस एक छोटे से प्वाइंट के अंदर भी लाखों की मात्रा में पदार्थ एक जगह संघनित रहते है। 

वैज्ञानिकों ने अपने रिसर्च से बताया है कि कुछ ब्लैक होल ब्रह्मांड जितने पुराने है, इनका निर्माण इसके साथ ही शुरू हो गया था। कुछ ब्लैक होल तारों के केंद्र ढहने से बनते है तो कुछ आकाशगंगा के केंद्र में पाए जाते है। इन दोनों के ही निर्माण की प्रक्रिया भी अलग होती है और द्रव्यमान में भी काफी अंतर होता है। 

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ब्लैक होल कैसा दिखता है? 

अब तक वैज्ञानिकों ने अपने रिसर्च से यह ज्ञात किया है कि ब्लैक होल बड़े और छोटे दोनों ही आकर में होते है। भले यह छोटे भी क्यों ना हो, पर इनका mass एक बड़े पहाड़ के बराबर होता है। इसका मतलब है कि यह आकार में सिमटे हुए रहते है और भार में काफी अधिक होते है। यह दिखने में पूरी तरह से काले होते है और इनकी कोई खास आकृति नहीं होती है।

यह mass में सूर्य से लाखों गुना भी अधिक होते है, फिर भी आकाशगंगा के केंद्र में छोटे से दिखाई देते है। यह अकसर धूल और गैस से ढके होते है, जिनके बारे में अनुमान लगा पाना कठिन होता है। हर आकाशगंगा के सेंटर में ब्लैक होल उपस्थित रहता है, जो दिखने में पूरा काला और खाली लगता है। 

ब्लैक होल के अंदर क्या होता है? 

ब्लैक होल के अंदर क्या है, इसके बारे में बता पाना नामुमकिन है। ऐसा इसलिए कहा जाता है क्योंकि यह अपने गुरुत्वाकर्षण बल से सब चीज़ को नष्ट कर देता है और कोई भी इस रहस्य से पर्दा नहीं उठा पाता है। इन होल के अंदर फिजिक्स का कोई भी नियम काम नहीं करता है और इस वजह से इसके बारे में बता पाना कभी संभव नहीं होगा। ना आप रौशनी के सहारे कुछ देख सकते है और ना ही इसके नजदीक जा सकते है। 

ब्लैक होल के अंदर कोई माध्यम नहीं होता है, जहां से प्रकाश रिफ्लेक्ट करके आपके पास वापस आएं और अंदर की चीजें दिखा सकें। अगर आप उसके पास भी जाएंगे, तो बिना सिग्नल के आप आस पास के स्पेस स्टेशन से मदद भी नही ले पाएंगे। आपको सभी चीजें सामान्य लगेगी, लेकिन singularity के पास जाने से गामा और x-ray की किरणों से आप जल सकते है।

यदि इसके आगे भी जा पाएं, तो वहां पक्का टाइडल फोर्स की वजह से आपके शरीर के टुकड़े हो सकते है। आप इसके बाद भी कुछ नहीं दिखेगा क्योंकि सभी सभी पदार्थ बल के कारण टुकड़ों में टूट जाते है और विकिरणों में बदल जाते है। इन सभी बातों से यहीं अंदाजा लगाया जाता है कि ब्लैक होल के अंदर की जानकारी किसी को भी नहीं मिली है। 

ब्लैक होल के कितने प्रकार होते है?

अब तक वैज्ञानिकों ने ब्लैक होल को चार भागों में विभाजित किया गया है, जो निम्नलिखित होते है। 

1. सूक्ष्म रूपी ब्लैक होल

यह आकार में एक काफी छोटा होता है, अभी तक इसके बारे में सिर्फ कल्पना की गई है, वर्तमान जीवन में कोई वजूद नहीं है। यह आकार में इतने छोटे होते है कि कुछ विकिरणों से ही यह गायब हो सकते है। 

2. मध्यवर्ती ब्लैक होल

2021 में इन ब्लैक होल की खोज की गई थी, यह अकसर आकाशगंगा के केंद्र में मौजूद रहते है। इन्हें हम तारकीय और विशालकाय ब्लैक होल के बीच एक ब्रिज के रूप में देख सकते है।

हाल में एक ऐसे ब्लैक होल का पता लगाया गया है जिसका नाम “गोल्डीलॉक्स” रखा गया है, जो द्रव्यमान में 55,000 सुर्यों के बराबर है। इसलिए, इसे एक इंटरमीडिएट ब्लैक होल के रूप में भी जाना जाता है। 

3. तारकीय ब्लैक होल

इसके नाम से पता चल रहा है कि यह एक विशाल तारे का अवशेष होता है। जब एक बड़ा तारा अपने जीवन के अंतिम समय में सुपरनोवा की तरह फट जाता है, तो गुरुत्वाकर्षण इसके सेंटर को संकुचित करने लगता है। इसका द्रव्यमान सूर्य के मुकाबले लगभग 5 गुना से लेकर 60 गुना तक होता है। 

4. विशालकाय ब्लैक होल 

इस प्रकार के ब्लैक होल को सबसे बड़ा होल माना जाता है, जिसका द्रव्यमान अरबों सूर्य के बराबर होता है। ऐसा साइंटिस्ट का मानना है कि अधिकतर आकाशगंगा के केंद्र में एक विशालकाय ब्लैक होल रहता है।

इसका निर्माण ब्रह्मांड के शुरूआत में विशाल बादलों के ढहने से हुआ है, इसी कारण से इसे सुपरमैसिव बोला जाता है। इसका उदाहरण आकाशगंगा Sagittarius A के केंद्र में सुपरमेसिव ब्लैक होल है, जो सूर्य के मुकाबले 4 मिलियन गुना बड़ा होता है। 

ब्लैक होल से कैसी आवाज आती है? 

नासा द्वारा यह पाया गया है कि ब्लैक होल से बड़ी ही भयानक डरावनी आवाज़ें आती है। इसके आवाज को रिकॉर्ड करके सुना गया था और यदि इसे सुपरसोनिक साउंड क्वालिटी के साथ सुना जाएं, तब इसके अद्भुत वजूद के बारे में अंदाजा लगाया जा सकता है।

हाल में एक स्टडी द्वारा ब्लैक होल में मौजूद 8 प्रकार के आवाज़ के बारे में बताया गया है। इन 8 प्रकार के आवाज़ों को ब्लैक होल बयानारिस का नाम दिया गया है और उन्होंने ने ईको पैदा करने वाले ब्लैक होल सिस्टम की भी पहचान की है। इन्हीं आवाजों की मदद से भविष्य में आकाशगंगा में ब्लैक होल की भूमिका के बारे में बताया जा सकता है। 

क्या पृथ्वी ब्लैक होल में समा सकती है?

कुछ वर्ष पहले लोगों के मन में यह भय समा गया था कि इसका ग्रेविटेशनल फोर्स इतना अधिक होता है कि किसी को भी अपने अंदर समा ले, तो यह किसी दिन पृथ्वी को भी ना निगल ले। यह ब्लैक होल घूमते फिरते ग्रहों, चांद या तारों को निगलने के लिए अंतरिक्ष में मौजूद नहीं रहते है।

यदि इसे पृथ्वी को अपनी अंदर खींचना है, तो इसके लिए उसे अर्थ के पास होना चाहिए। हालांकि, अब तक ऐसे किसी भी ब्लैक होल की खोज नहीं हुई है, जो हमारे सौरमंडल के पास घूमती हो। 

यह तभी संभव है, जब कोई ब्लैक होल सूर्य जितना बड़ा होगा और उसका द्रव्यमान भी इसी के बराबर होना चाहिए। यदि कोई सूरज के बराबर मिल भी गया, तो भी सौरमंडल का ग्रह इसके अंदर नहीं जा सकता है। ऐसे मामले में इसका गुरुत्वाकर्षण बल सूर्य के समान होगा, और इसलिए पृथ्वी के साथ अन्य सारे ग्रह भी इसके चक्कर लगाएंगे जिस तरह आज सूर्य की परिक्रमा करते है। 

ब्लैक होल से संबंधित कुछ खास जानकारी:-

आपने ब्लैक होल के बारे में सारी जानकारी जुटा ली है, अब इसके कुछ विशेष जानकारी के भी बारे में जानते है। 

  • हमारे पृथ्वी के सबसे नजदीक ब्लैक होल HR6819 है, जो यहां से लगभग 1000 प्रकाश वर्ष की दूरी पर स्थित है। 
  • यदि कोई तारा या ग्रह ब्लैक होल के पास से गुजरता है, तो वो यह तो इसमें समा कर जल जाएगा या फिर इसके बल से टूट भी सकता है। 
  • यदि आप ब्लैक होल के नज़दीक जाते है, तो वहां पर समय भी धीमी गति से चलने लगता है और इसके singularity के पास जाने से समय पूरी तरह से बंद हो जाता है। 
  • कोई भी व्यक्ति ब्लैक होल के अंदर जाएगा, तो इसकी दीवारें गरम आग फेंकती है और आपको पूरी तरह से जला भी सकती है। 
  • कार्ल नाम के एक वैज्ञानिक ने रेडियम नामक एक शब्द की खोज की थी, जो आपको इस बात की माप बताता है कि ब्लैक होल बनाने के लिए किसी चीज़ या वस्तु को आकार में कितना छोटा करना होता है। 

निष्कर्ष

हमने अपनी तरफ से संपूर्ण जानकारी आपको दे दी है, आशा करते है आपको अपने सवाल का जवाब मिल गया होगा। हमने आपको बताया है कि ब्लैक होल क्या है, इसकी खोज किसने की, इसके कितने प्रकार होते है और यह दिखने में कैसा लगता है, इत्यादि।

यदि आपको और भी जानकारी प्राप्त करनी है, तो कॉमेंट बॉक्स के जरिए अपना सवाल पूछ सकते है। हमारे साथ हमेशा बने रहें और नए नए पोस्ट पढ़ते रहें। यदि आपको यह लेख पसंद आया हो तो अपने दोस्तों के भी साथ साझा करें। 

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